हार ही नहीं कांग्रेस को इन दो मोर्चों पर भी मिली मात, इस नई चुनौती से कैसे निपटेगी पार्टी?

नई दिल्ली: कांग्रेस को हरियाणा चुनाव में जोर का झटका लगा है। 5 अक्टूबर को वोटिंग के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल में पार्टी की जबरदस्त जीत का दावा किया गया था। हालांकि, जब जनादेश सामने आया तो कांग्रेस की जीत के जश्न को लेकर हुई सारी तैयारी धरी की

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नई दिल्ली: कांग्रेस को हरियाणा चुनाव में जोर का झटका लगा है। 5 अक्टूबर को वोटिंग के बाद आए लगभग सभी एग्जिट पोल में पार्टी की जबरदस्त जीत का दावा किया गया था। हालांकि, जब जनादेश सामने आया तो कांग्रेस की जीत के जश्न को लेकर हुई सारी तैयारी धरी की धरी रह गई। बीजेपी ने इस चुनाव में हैट्रिक लगाई और पार्टी अब तीसरी बार सरकार बनाने जा रही। कांग्रेस की बात करें चुनावी कैंपेन की शुरुआत तो पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी। हालांकि, धीरे-धीरे पार्टी के अंदर का अंतर्कलह खुलकर लोगों के सामने आ गया। एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा था तो दूसरी तरफ दलित नेता कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा थीं। हुड्डा और सैलजा के बीच का घमासान कहीं न कहीं पार्टी के खिलाफ गया। इस चुनाव से कांग्रेस को केवल हार ही नहीं मिली, उसे दो और मोर्चों पर झटका भी लगा है। जानिए पूरा मामला क्या है।

सैलजा Vs हुड्डा की लड़ाई से कांग्रेस को नुकसान

हरियाणा में चुनाव परिणाम आने से ठीक दो दिन पहले से ही दिल्ली में कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों डेरा डाले बैठे थे। दोनों में से कोई भी चुनाव नतीजों के साथ सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी ठोंकने में देर करने के मूड में नहीं था। हालांकि, हरियाणा की जनता ने जैसा फैसला सुनाया, उससे ये स्पष्ट हो गया कांग्रेस पार्टी अपनी गलतियों से हारी। पार्टी के अंदर की लड़ाई ने उसे पांच साल के लिए फिर सत्ता से दूर कर दिया। कांग्रेस पार्टी के भीतर जिसकी नाराजगी की चर्चा सबसे ज्यादा रही, वह हैं सांसद कुमारी सैलजा। जिनका खेमा अलग ही अंदाज में इस चुनाव के दौरान नजर आया।

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कांग्रेस को नहीं मिले दलित वोट

कुमारी सैलजा खुद ही लंबे समय तक पार्टी के चुनाव प्रचार से दूर रहीं और शामिल हुईं भी तो एकदम बेमन से। जिसका परिणाम चुनाव नतीजों में साफ उभरकर आया। सैलजा का चुनाव प्रचार से दूर दूर रहना दलित मतों के विभाजन का कारण बना। हरियाणा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान हुड्डा की जमकर चली। कुमारी सैलजा की बात को नहीं मानने से पार्टी के दलित वोट बैंक में नाराजगी दिख रही थी। इस चुनाव में दलित वोटों का कांग्रेस छिटकना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव में दलित वोट कांग्रेस के साथ आया था। अब जिस तरह से ये खेमा अलग अंदाज में नजर आया वो आने वाले चुनाव में पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

हार के कारण सहयोगी दलों से नहीं मिलेगा वो भाव

हरियाणा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को शिकस्त मिली है इससे सहयोगी पार्टियों में उसके बढ़ते दबदबे को प्रभावित करेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ ही दिनों बाद महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव हैं। दोनों ही जगह कांग्रेस को अपने सहयोगी पार्टियों से सीट शेयरिंग फॉर्म्युला तय करना है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था, उससे विपक्षी इंडिया गठबंधन में उनकी पकड़ मजबूत हो गई थी। अगर पार्टी हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन करते हुए सत्ता में काबिज होती तो अन्य राज्यों में भी वो सहयोगी पार्टियों पर दबाव बना सकती थी। लेकिन जिस तरह से उसे हार का सामना करना पड़ा है उससे कांग्रेस की स्थिति कहीं न कहीं कमजोर हुई है। इसका इशारा मिलने भी लगा है।


प्रियंका चतुर्वेदी ने इशारों में दे दिया मैसेज

हरियाणा चुनाव के नतीजों पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रिएक्ट किया। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा को बधाई देती हूं क्योंकि इतनी सत्ता विरोधी लहर के बाद भी ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में उनकी ही सरकार बना रही है। कांग्रेस पार्टी को अपनी रणनीति पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि जहां भी बीजेपी से सीधी लड़ाई होती है, वहां कांग्रेस पार्टी कमजोर हो जाती है। एक तरह से प्रियंका चतुर्वेदी ने इशारों-इशारों में कांग्रेस को सीधा मैसेज देने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ऐसे मुद्दों पर लड़े जा रहे हैं जो हरियाणा से बिल्कुल अलग हैं। महाराष्ट्र भावनाओं के आधार पर वोट करेगा।

केजरीवाल का सधा जवाब भी बहुत कुछ कह रहा

इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी हरियाणा नतीजों पर कांग्रेस को इशारों-इशारों में तगड़ा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव रिजल्ट का सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी भी चुनाव में कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट मुश्किल होती है। केजरीवाल का ये बयान कहीं न कहीं कांग्रेस के पक्ष में दिखे माहौल और फिर नतीजों में लगे जोर झटके की ओर इशारा था। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि हरियाणा के नतीजे कांग्रेस के लिए सबक की तरह है। उन्हें नए सिरे से रणनीतिक प्लान तैयार करना होगा।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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